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Monday, August 27, 2018

विरूद्ध आहार


विरूद्ध  आहार 

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कुछ खाने पीने की वस्तुऐ अकेली तो अमृत तुल्य गुणकारी होती है परंतू अन्य वस्तुओ के साथ मिल जाने पर ये जहर का काम करती है ।कुछ द्रव्य या वस्तुऐ परस्पर गुण विरूद्ध, कुछ द्रव्य संयोग विरूद्ध, कुछ द्रव्य संस्कार विरुद्ध, कुछ द्रव्य देशकाल और मात्रा आदि से विरूद्ध  होते है। गुण विरूद्ध जैसे मछली और दूध का सेवन करने से सफेद कुष्ठ  (सफेद दाग) होने का भय रहता है । इसी प्रकार संयोग विरूद्ध जैसे दूध और मूली ,संस्कार जैसे कांसे के पात्र मे दस दिन रखा हुआ घी ,काल विरूद्ध  जैसे शीतकाल मे शीतल और रूखी वस्तुओ का सेवन या रात मे सत्तू  का सेवन आदि परस्पर विरोधी खाने पीने के पदार्थो के प्रयोग  से बचने से अनेकानेक रोगो से सहज ही बचा जा सकता है । ऐसा ही कुछ विरूद्ध  (नुकसानदायक)  संयोगो की सूचि नीचे दी जा रही है ।
A) हानिकारक  (अहितकारी) संयोग :-
1) दूध के साथ :- दही ,नमक,इमली,खरबूजा,बेलफल,नारियल, मूली और मूली के पत्ते, तोरई,गुड या गुड का हलवा ,तिलकुट,तेल,कुलथी,सत्तू, खट्टे फल,खटाई आदि ।
2) दही के साथ :-
खीर,दूध,पनीर,गर्म खाना या गर्म वस्तु, खरबूजा आदि।
3) खीर के साथ :-
 खिचडी,कटहल,खटाई,सत्तू, शराब आदि।
4) शहद के साथ :-
मूली,अंगूर,वर्षा का जल,गर्म वस्तुऐ या गर्म जल आदि।
5) शीतल जल के साथ :-
मूँगफली, घी,तेल,तरबूज,अमरूद,जामुन,खीरा,कोठी, नेता, गर्म दूध या गर्म पदार्थ आदि ।
6) घी के साथ: -
शहद (समान मात्रा मे )
7) खरबूजा के साथ :-
लहसून ,मूली के पत्ते ,दूध,दही ।
8) तरबूज के साथ :-
पुदीना,शीतल जल ।
9)चाय के साथ :-
ककडी ,खीरा,नमकीन,बिस्कुट आदि।
10) चावल के साथ :-सिरका ।

B) हितकारी  (लाभदायक)  संयोग :-
1 ) खरबूजा के साथ मिश्री ।
2)आम के साथ गाय का दूध ।
3) केले के साथ इलायची ।
4) खजूर के साथ दूध ।
5) चावल के साथ दही ।
6)चावल के साथ नारियल  की गिरी ।
7)अनाज या दाल के साथ दूध और दही ।
8)इमली के साथ गुड ।
9)अमरूद के साथ सौंफ ।
10) तरबूज के साथ गुड ।
11) मकई के साथ मट्ठा ।
12)बथुआ और दही का रायता ।
13)गाजर और मैथी का साग ।

C) ज्यादा खाने पीने से हुए अजीर्ण/ विकार का इलाज :-
यदि किसी वस्तु  के अधिक खाने पीने से अजीर्ण  या विकार उत्पन्न  हो जाए तो उसे दूर करने के लिए निम्न सूची के अनुसार हितकारी संयोग वाली अन्य वस्तु लेकर कई दुष्परिणामों से बचा जा सकता है ।
1) केले से उत्पन्न विकार के लिए :- एक दो छोटी इलायची ।
2) आम से उत्पन्न विकार के लिए :-दो चार जामुन अथवा दूध अथवा एक ग्राम  सौंठ के चूर्ण  की गुड मे गोली बनाकर खाना ।
3) जामुन से उत्पन्न विकार के लिए :-दो आम अथवा थोडा नमक ।
4) खरबूजा से उत्पन्न  विकार के लिए: -आधा कप मिश्री का शर्बत ।
5) तरबूज़ा  से उत्पन्न  विकार के लिए :-एक दो ग्राम  नमक अथवा एक लौंग ।
6) सेब से उत्पन्न  विकार के लिए :- एक चम्मच  गुलकंद अथवा एक ग्राम  दालचीनी ।
7) अमरूद से उत्पन्न  विकार के लिए :- सौंफ ।
8) नीबू से उत्पन्न  विकार के लिए :- नमक ।
9) बेर से उत्पन्न विकार के लिए :- गन्ना चूसना अथवा सिरका अथवा गर्म  पानी।
10) गन्ने  से उत्पन्न  विकार के लिए :- तीन चार बेर ।
11) चावल से उत्पन्न  विकार के लिए :- नारियल  की गिरी का टुकडा अथवा अजवाइन  अथवा दही अथवा गर्म  दूध ।
12) उडद से उत्पन्न  विकार के लिए :-गुड
13) मूंग,माह,चने की दाल से उत्पन्न  विकार के लिए :-सिरका ।
14) मटर से उत्पन्न  विकार के लिए :- अदरक या सौंठ ।
15) अनाज या दाल से उत्पन्न  विकार के लिए :- दूध अथवा दही ।
16) बेसन से उत्पन्न  विकार के लिए :- गर्म  मसाले अथवा मूली के पत्ते 
17) इमली से उत्पन्न  विकार के लिए :-गुड ।
18) मूली से उत्पन्न विकार के लिए :- मूली के पत्ते  अथवा तिल चबाकर खाना ।
19) बैंगन से उत्पन्न विकार के लिए :- सरसो का तेल ।
20) शकरकंद से उत्पन्न  विकार के लिए :- गुड ।
21) जिमिकंद से उत्पन्न विकार के लिए :- गुड ।
22) मकई से उत्पन्न विकार के लिए :-मट्ठा ।
23) घी से उत्पन्न विकार के लिए :-काली मिर्च  अथवा गर्म  पानी ।
24) बदबूदार या पुराने घी से उत्पन्न विकार के लिए: - नीबू का रस ।
25) खीर से उत्पन्न विकार के लिए :- काली मिर्च 
26) लड्डू से उत्पन्न विकार के लिए :- पीपल ।
27) पुरी कचौड़ी से उत्पन्न  विकार  के लिए: - गर्म  पानी ।
28) अमरूद या कफकारी दुर्गुण से उत्पन्न विकार के लिए :- नमक काली मिर्च लगाकर खाना ।
29) खुरमानी से उत्पन्न विकार  के लिए :- ठंडा  पानी ।
30) मूंगफली से उत्पन्न  विकार  के लिए :- गाय का मटठा/गुड ।
D) विभिन्न  औषधियो के दुष्प्रभाव  का इलाज :-
1) कुनैन के दुष्प्रभाव  (मस्तिष्क  मे चक्कर आना,तबियत घबराना ) का इलाज :- नीबू का प्रयोग 
2) विभिन्न सल्फा ड्रग  (प्रतिकूल लक्षण) के दुष्प्रभाव  का इलाज :- नीबू का प्रयोग 
3) ऐलोपैथिक दवाओ के प्रयोग  के दुष्प्रभाव  (गर्मी से शरीर मे छाले,पैरो मे जलन) का इलाज :- प्रातः  आंवला मुरब्बा  एक नग और दोपहर गुलकंद एक चम्मच लगातार कुछ दिन लेना है ।
4) गर्म  वस्तुओ के सेवन से उत्पन्न दुष्प्रभाव  (शरीर मे गर्मी, अंदर की जलन,गर्मी के चक्कर, जी मिचलाना) का इलाज :- सफेद जीरा और मिश्री बराबर मात्रा मे मिलाकर  एक चम्मच भर फककी  लेकर पानी पी ले अथवा धनिया दाना और मिश्री मिलाकर  एक चम्मच भर पानी के संग लेना ।
(साभार :- स्वदेशी  चिकित्सा  सार / डा अजीत मेहता जी )
धन्यवाद 
हेमन्त कुमार शर्मा 

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